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*सपत्नीक ब्राह्मण का भोजन कराकर वस्त्र दान तथा पुष्पों आदि से सम्मान करना चाहिए।
 
*सपत्नीक ब्राह्मण का भोजन कराकर वस्त्र दान तथा पुष्पों आदि से सम्मान करना चाहिए।
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*ऐसी मान्यता है कि कर्ता सात जन्मों तक ब्राह्मण वर्ण में ही जन्म लेता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 245, प्रभासखण्ड से उद्धरण</ref>; <ref>कृत्यरत्नाकर (278-279</ref>
 
 
 
 
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12:54, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • ज्येष्ठ पौर्णमासी को यह व्रत किया जाता है।
  • सपत्नीक ब्राह्मण का भोजन कराकर वस्त्र दान तथा पुष्पों आदि से सम्मान करना चाहिए।
  • ऐसी मान्यता है कि कर्ता सात जन्मों तक ब्राह्मण वर्ण में ही जन्म लेता है।[1]; [2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 245, प्रभासखण्ड से उद्धरण
  2. कृत्यरत्नाकर (278-279

संबंधित लेख

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