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*सपत्नीक ब्राह्मण का भोजन कराकर वस्त्र दान तथा पुष्पों आदि से सम्मान करना चाहिए। | *सपत्नीक ब्राह्मण का भोजन कराकर वस्त्र दान तथा पुष्पों आदि से सम्मान करना चाहिए। | ||
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12:54, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- ज्येष्ठ पौर्णमासी को यह व्रत किया जाता है।
- सपत्नीक ब्राह्मण का भोजन कराकर वस्त्र दान तथा पुष्पों आदि से सम्मान करना चाहिए।
- ऐसी मान्यता है कि कर्ता सात जन्मों तक ब्राह्मण वर्ण में ही जन्म लेता है।[1]; [2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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