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*प्रतिमा के दक्षिण भाग में चन्दन एवं कर्पूर का तथा वाम भाग में कुंकुम एवं तुरुष्क (लोबान) का प्रयोग करना चाहिए।
 
*देवी के सिर पर नीलम तथा शिव के सिर पर मोती रखे जाते हैं और श्वेत एवं लाल पुष्पों से पूजा की जाती है।
 
*देवी के सिर पर नीलम तथा शिव के सिर पर मोती रखे जाते हैं और श्वेत एवं लाल पुष्पों से पूजा की जाती है।
*सद्योजात नाम के साथ तिल का होम करना चाहिए।<ref> हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 833-835, [[स्कन्दपुराण]] से उद्धरण)</ref>  
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*भविष्योत्तरपुराण<ref> (भविष्योत्तरपुराण 59|1-23</ref> ने इन्हीं शब्दों में इस व्रत का उल्लेख किया है।
*[[वामदेव]], [[सद्योजात]], [[अघोर]], [[तत्पुरुष]], [[ईशान]] शिव के पाँच मुख कहे जाते हैं।<ref>तैत्तिरीयारण्यक (90|43-47)</ref>
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*[[वामदेव]], [[सद्योजात]], [[अघोर]], [[तत्पुरुष]], [[ईशान]] शिव के पाँच मुख कहे जाते हैं।<ref>तैत्तिरीयारण्यक (90|43-47</ref>
  
 
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13:02, 27 जुलाई 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • तिथिव्रत यह देवता शिव एवं उमा का व्रत है।
  • सोमवारयुक्त नवमी पर रात्रि में शिव एवं उमा की पूजा करनी चाहिए।
  • पंचगव्य से प्रतिमा का स्नान करना चाहिए।
  • वामदेव तथा अन्य नामों से शिव की पूजा करनी चाहिए।
  • प्रतिमा के दक्षिण भाग में चन्दन एवं कर्पूर का तथा वाम भाग में कुंकुम एवं तुरुष्क (लोबान) का प्रयोग करना चाहिए।
  • देवी के सिर पर नीलम तथा शिव के सिर पर मोती रखे जाते हैं और श्वेत एवं लाल पुष्पों से पूजा की जाती है।
  • सद्योजात नाम के साथ तिल का होम करना चाहिए।[1]
  • भविष्योत्तरपुराण[2] ने इन्हीं शब्दों में इस व्रत का उल्लेख किया है।
  • वामदेव, सद्योजात, अघोर, तत्पुरुष, ईशान शिव के पाँच मुख कहे जाते हैं।[3]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 833-835, स्कन्दपुराण से उद्धरण
  2. (भविष्योत्तरपुराण 59|1-23
  3. तैत्तिरीयारण्यक (90|43-47

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