"पद्मक योग" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित")
छो (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==")
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
*कालविवेक ने व्याख्या की है कि सूर्य विशाखा के चतुर्थ चरण में तथा चन्द्र कृत्तिका के प्रथम चरण में होना चाहिए।
 
*कालविवेक ने व्याख्या की है कि सूर्य विशाखा के चतुर्थ चरण में तथा चन्द्र कृत्तिका के प्रथम चरण में होना चाहिए।
  
 +
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>

09:49, 21 मार्च 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • जब रविवार सप्तमी से युक्त षष्ठी को होता है तो इसे पद्मकयोग कहते हैं, जो सहस्र सूर्य ग्रहणों के समान है।[1]
  • जब सूर्य विशाखा नक्षत्र में और चन्द्र कृत्तिका में हो तो पद्मकयोग होता है।[2]
  • कालविवेक ने व्याख्या की है कि सूर्य विशाखा के चतुर्थ चरण में तथा चन्द्र कृत्तिका के प्रथम चरण में होना चाहिए।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. पुरुषार्थचिन्तामणि (105); व्रतराज (249)
  2. हेमाद्रि (काल॰ 679, शंख से उद्धरण); कालविवेक (390, पद्म एवं विष्णुपुराण से उद्धरण); कृत्यरत्नाकर (430); स्मृतिकौस्तुभ (400);

अन्य संबंधित लिंक